आसमां ओढ़ के सोए हैं खुले मैदां में..पढ़ें राहत इंदौरी के शेर..


2024/02/05 22:05:37 IST

पत्थर तो हटाते जाते

    हमसे पहले भी मुसाफ़िर की गुज़रे होंगे, कम से कम राह का पत्थर तो हटाते जाते

मुहब्बतों का सबक़ दे रहे हैं

    मुहब्बतों का सबक़ दे रहे हैं दुनिया को, जो ईद अपने सगे भाई से नहीं मिलते

कहीं जन्नत होगी

    मां के क़दमों के निशां हैं कि दिए रौशन हैं, ग़ौर से देख यहीं पर कहीं जन्नत होगी

हिसाब करूं

    ये ज़िंदगी जो मुझे क़र्ज़दार करती है, कहीं अकेले में मिल जाए तो हिसाब करूं

हैरत नहीं होती

    पहले दीप जलें तो चर्चे होते थे, और अब शहर जलें तो हैरत नहीं होती

पलकों पे आतिश-दान लिया

    शाम ने जब पलकों पे आतिश-दान लिया, कुछ यादों ने चुटकी में लोबान लिया

ज़िंदगी अज़ाब करूँ

    मैं करवटों के नए ज़ाइक़े लिखूँ शब-भर, ये इश्क़ है तो कहाँ ज़िंदगी अज़ाब करूँ

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