पढ़ें राहत इंदौरी के लिखे चुनिंदा शेर..
मौत से यारी रखो
एक ही नद्दी के हैं ये दो किनारे दोस्तो, दोस्ताना ज़िंदगी से मौत से यारी रखो
लोग हँसते हैं मुझे देख
मुझ को रोने का सलीक़ा भी नहीं है शायद, लोग हँसते हैं मुझे देख के आते जाते
मुझ से किनारा कर के
मैं वो दरिया हूँ कि हर बूँद भँवर है जिस की, तुम ने अच्छा ही किया मुझ से किनारा कर के
ठोकर लगानी चाहिए
ज़िंदगी है इक सफ़र और ज़िंदगी की राह में, ज़िंदगी भी आए तो ठोकर लगानी चाहिए
बातें प्यारी-प्यारी किया करो”
जब भी चाहे मौत बिछा दो बस्ती में, लेकिन बातें प्यारी-प्यारी किया करो”
चुनाव है क्या
सरहदों पर बहुत तनाव है क्या, कुछ पता तो करो चुनाव है क्या
ज़मी तू रख ले
मेरी ख्वाहिश है कि आँगन में न दीवार उठे, मेरे भाई मेरे हिस्से की ज़मी तू रख ले
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