अब ज़माना है बेवफ़ाई का, पढ़ें बेवफाई पर बेहतरीन शेर
हामिद मुख़्तार हामिद
ये जफ़ाओं की सज़ा है कि तमाशाई है तू, ये वफ़ाओं की सज़ा है कि पए-दार हूँ मैं
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आसिम वास्ती
ग़लत-रवी को तिरी मैं ग़लत समझता हूँ, ये बेवफ़ाई भी शामिल मिरी वफ़ा में है
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बेखुद बदायुनी
न मुदारात हमारी न अदू से नफ़रत.न वफ़ा ही तुम्हें आई न जफ़ा ही आई
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शहरयार
हुसैन-इब्न-ए-अली कर्बला को जाते हैं,मगर ये लोग अभी तक घरों के अंदर हैं
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आग़ा हज्जू शरफ़
बे-वफ़ा तुम बा-वफ़ा मैं देखिए होता है क्या,ग़ैज़ में आने को तुम हो मुझ को प्यार आने को है
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अमीता परसुराम मीता
अधूरी वफ़ाओं से उम्मीद रखना,हमारे भी दिल की अजब सादगी है
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बेदिल अज़ीमाबादी
तुम जफ़ा पर भी तो नहीं क़ाएम,हम वफ़ा उम्र भर करें क्यूँ-कर
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