Urdu Shayari: जवाँ होते ही ले उड़ा हुस्न तुम को,परी हो गए तुम तो इंसान हो कर


2024/06/12 14:07:58 IST

अख़्तर अंसारी

    रगों में दौड़ती हैं बिजलियाँ लहू के एवज़,शबाब कहते हैं जिस चीज़ को क़यामत है

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हफ़ीज़ जालंधरी

    ख़ामोश हो गईं जो उमंगें शबाब की,फिर जुरअत-ए-गुनाह न की हम भी चुप रहे

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अब्दुल हमीद अदम

    वो अहद-ए-जवानी वो ख़राबात का आलम,नग़्मात में डूबी हुई बरसात का आलम

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लाला माधव राम जौहर

    क्या याद कर के रोऊँ कि कैसा शबाब था,कुछ भी न था हवा थी कहानी थी ख़्वाब था

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आग़ा शाएर क़ज़लबाश

    किस तरह जवानी में चलूँ राह पे नासेह,ये उम्र ही ऐसी है सुझाई नहीं देता

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अब्दुल हमीद अदम

    नौजवानी में पारसा होना, कैसा कार-ए-ज़बून है प्यारे

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असर सहबाई

    ये हुस्न-ए-दिल-फ़रेब ये आलम शबाब का,गोया छलक रहा है पियाला शराब का

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