हम से कोई तअल्लुक़-ए-ख़ातिर तो है उसे...पढ़ें 'वफाई' पर बेहतरीन शेर
वफ़ा
वफ़ा करेंगे निबाहेंगे बात मानेंगे...तुम्हें भी याद है कुछ ये कलाम किस का था
अंजाम-ए-वफ़ा
अंजाम-ए-वफ़ा ये है जिस ने भी मोहब्बत की...मरने की दुआ माँगी जीने की सज़ा पाई
बे-वफ़ा
इस से पहले कि बे-वफ़ा हो जाएँ...क्यूँ न ऐ दोस्त हम जुदा हो जाएँ
वफ़ा के मोती
ढूँड उजड़े हुए लोगों में वफ़ा के मोती...ये ख़ज़ाने तुझे मुमकिन है ख़राबों में मिलें
शिकवा
शाद ग़ैर-मुमकिन है शिकवा-ए-बुताँ मुझ से...मैं ने जिस से उल्फ़त की उस को बा-वफ़ा पाया
उल्फ़त
उल्फ़त में बराबर है वफ़ा हो कि जफ़ा हो...हर बात में लज़्ज़त है अगर दिल में मज़ा हो
बेवफ़ाई
बेवफ़ाई पे तेरी जी है फ़िदा...क़हर होता जो बा-वफ़ा होता
मुस्कुरा
इक बार उस ने मुझ को देखा था मुस्कुरा कर...इतनी तो है हक़ीक़त बाक़ी कहानियाँ हैं
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