अब जुदाई के सफ़र को मिरे आसान करो, पढ़ें 'जुदाई' पर बेहतरीन शेर...
जुदाई का सबब
किस किस को बताएँगे जुदाई का सबब हम...तू मुझ से ख़फ़ा है तो ज़माने के लिए आ
जुदाई के सफ़र
अब जुदाई के सफ़र को मिरे आसान करो....तुम मुझे ख़्वाब में आ कर न परेशान करो
सदियाँ
जिस की आँखों में कटी थीं सदियाँ...उस ने सदियों की जुदाई दी है
ए-जुदाई
थी वस्ल में भी फ़िक्र-ए-जुदाई तमाम शब...वो आए तो भी नींद न आई तमाम शब
मुसलसल
इस क़दर मुसलसल थीं शिद्दतें जुदाई की...आज पहली बार उस से मैं ने बेवफ़ाई की
जुदा
ये ठीक है नहीं मरता कोई जुदाई में...ख़ुदा किसी को किसी से मगर जुदा न करे
जुदाई
तो क्या सच-मुच जुदाई मुझ से कर ली...तो ख़ुद अपने को आधा कर लिया क्या
वस्ल
वस्ल में रंग उड़ गया मेरा...क्या जुदाई को मुँह दिखाऊँगा
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