उजाले अपनी यादों के हमारे साथ रहने दो...पढ़ें 'जिंदगी' पर बेहतरीन शेर


2024/01/25 16:42:29 IST

यादों

    उजाले अपनी यादों के हमारे साथ रहने दो...न जाने किस गली में ज़िंदगी की शाम हो जाए

गुज़ारी

    जो गुज़ारी न जा सकी हम से...हम ने वो ज़िंदगी गुज़ारी है

बे-ख़ुदी

    होश वालों को ख़बर क्या बे-ख़ुदी क्या चीज़ है...इश्क़ कीजे फिर समझिए ज़िंदगी क्या चीज़ है

आहट

    बहुत पहले से उन क़दमों की आहट जान लेते हैं...तुझे ऐ ज़िंदगी हम दूर से पहचान लेते हैं

क़ब्र

    ज़िंदगी तू ने मुझे क़ब्र से कम दी है ज़मीं...पाँव फैलाऊँ तो दीवार में सर लगता है

मोहब्बत

    ज़िंदगी किस तरह बसर होगी...दिल नहीं लग रहा मोहब्बत में

ज़िंदा-दिली

    ज़िंदगी ज़िंदा-दिली का है नाम...मुर्दा-दिल ख़ाक जिया करते हैं

ज़िंदगानी

    सैर कर दुनिया की ग़ाफ़िल ज़िंदगानी फिर कहाँ...ज़िंदगी गर कुछ रही तो ये जवानी फिर कहाँ

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