हम को अब तक आशिक़ी का वो ज़माना याद है...पढ़ें 'आशिक़ी' से जुड़े बेहतरीन शेर


2024/01/31 15:56:37 IST

बंदगी

    आशिक़ी से मिलेगा ऐ ज़ाहिद...बंदगी से ख़ुदा नहीं मिलता

'मीर'

    आशिक़ी में मीर जैसे ख़्वाब मत देखा करो...बावले हो जाओगे महताब मत देखा करो

सब्र-तलब

    आशिक़ी सब्र-तलब और तमन्ना बेताब...दिल का क्या रंग करूँ ख़ून-ए-जिगर होते तक

अज़ाब

    ज़िंदगी जब अज़ाब होती है...आशिक़ी कामयाब होती है

ख़्वार

    फिरते हैं मीर ख़्वार कोई पूछता नहीं..इस आशिक़ी में इज़्ज़त-ए-सादात भी गई

ख़ुदाई

    इश्क़ में बू है किबरियाई की....आशिक़ी जिस ने की ख़ुदाई की

आशिक़ी

    आशिक़ी का हो बुरा उस ने बिगाड़े सारे काम....हम तो ए.बी में रहे अग़्यार बी.ए हो गए

माशूक़ों

    शम्अ माशूक़ों को सिखलाती है तर्ज़-ए-आशिक़ी...जल के परवाने से पहले बुझ के परवाने के बाद

दिल

    लगा न दिल को कहीं क्या सुना नहीं तू ने...जो कुछ कि मीर का इस आशिक़ी ने हाल किया

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