मुझे रोकेगा तू ऐ नाख़ुदा क्या ग़र्क़ होने से..पढ़ें अल्लामा इकबाल के शेर...


2024/03/08 23:12:48 IST

तमन्ना भी छोड़ दे

    सौदा-गरी नहीं ये इबादत ख़ुदा की है, ऐ बे-ख़बर जज़ा की तमन्ना भी छोड़ दे

तिरे दिल में मिरी बात

    अंदाज़-ए-बयाँ गरचे बहुत शोख़ नहीं है, शायद कि उतर जाए तिरे दिल में मिरी बात

तू भी तो हरजाई है

    कभी हम से कभी ग़ैरों से शनासाई है, बात कहने की नहीं तू भी तो हरजाई है

फूँक डाले हैं

    न पूछो मुझ से लज़्ज़त ख़ानमाँ-बर्बाद रहने की, नशेमन सैकड़ों मैं ने बना कर फूँक डाले हैं

आती नहीं रूबाही

    आईन-ए-जवाँ-मर्दां हक़-गोई ओ बे-बाकी, अल्लाह के शेरों को आती नहीं रूबाही

ये जन्नत मुबारक रहे

    ये जन्नत मुबारक रहे ज़ाहिदों को, कि मैं आप का सामना चाहता हूँ

इमाम से गुज़र

    तेरा इमाम बे-हुज़ूर तेरी नमाज़ बे-सुरूर, ऐसी नमाज़ से गुज़र ऐसे इमाम से गुज़र

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