एक मुद्दत से तिरी याद भी आई न हमें..पढ़ें फ़िराक़ गोरखपुरी के शेर...


2024/03/22 22:12:37 IST

उन क़दमों की आहट

    बहुत पहले से उन क़दमों की आहट जान लेते हैं, तुझे ऐ ज़िंदगी हम दूर से पहचान लेते हैं

इश्क़ तौफ़ीक़ है गुनाह नहीं

    कोई समझे तो एक बात कहूँ, इश्क़ तौफ़ीक़ है गुनाह नहीं

तुम मुख़ातिब भी हो

    तुम मुख़ातिब भी हो क़रीब भी हो, तुम को देखें कि तुम से बात करें

तुम ने तो बेवफ़ाई की

    हम से क्या हो सका मोहब्बत में, ख़ैर तुम ने तो बेवफ़ाई की

आए थे हँसते खेलते

    आए थे हँसते खेलते मय-ख़ाने में फ़िराक़, जब पी चुके शराब तो संजीदा हो गए

कितनी तन्हा हो गईं तन्हाइयाँ

    अब तो उन की याद भी आती नहीं, कितनी तन्हा हो गईं तन्हाइयाँ

रात भी नींद भी

    रात भी नींद भी कहानी भी, हाए क्या चीज़ है जवानी भी

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