फ़रिश्ते आ कर उन के जिस्म पर ख़ुश्बू लगाते हैं...पढ़ें मुनव्वर राना के शेर


2024/01/18 16:43:27 IST

माँ बाप

    ये सोच के माँ बाप की ख़िदमत में लगा हूँ...इस पेड़ का साया मिरे बच्चों को मिलेगा

फ़रिश्ते

    फ़रिश्ते आ कर उन के जिस्म पर ख़ुश्बू लगाते हैं...वो बच्चे रेल के डिब्बों में जो झाड़ू लगाते हैं

बुनियाद

    मुनव्वर माँ के आगे यूँ कभी खुल कर नहीं रोना...जहाँ बुनियाद हो इतनी नमी अच्छी नहीं होती

मोहब्बत

    भुला पाना बहुत मुश्किल है सब कुछ याद रहता है...मोहब्बत करने वाला इस लिए बरबाद रहता है

ख़फ़ा

    ख़फ़ा होना ज़रा सी बात पर तलवार हो जाना...मगर फिर ख़ुद-ब-ख़ुद वो आप का गुलनार हो जाना

आईना

    कल अपने-आप को देखा था माँ की आँखों में...ये आईना हमें बूढ़ा नहीं बताता है

ज़ख़्म

    किसी के ज़ख़्म पर चाहत से पट्टी कौन बाँधेगा...अगर बहनें नहीं होंगी तो राखी कौन बाँधेगा

ग़रीब आँखे

    बच्चों की फ़ीस उन की किताबें क़लम दवात...मेरी ग़रीब आँखों में स्कूल चुभ गया

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