इक सज़ा और असीरों को सुना दी जाए...पढ़ें पीरज़ादा क़ासीम के शेर...


2024/03/02 22:00:51 IST

आप बहुत अजीब हैं

    अपने ख़िलाफ़ फैसला ख़ुद ही लिखा है आपने, हाथ भी मल रहे हैं आप आप बहुत अजीब हैं

शहर तलब करे

    शहर तलब करे अगर तुम से इलाज-ए-तीरगी, साहिब-ए-इख़्तियार हो आग लगा दिया करो

दिल दुखाना चाहिए था

    तुम्हें जफ़ा से न यूँ बाज़ आना चाहिए था, अभी कुछ और मिरा दिल दुखाना चाहिए था

आवाज़ बना दी जाए

    उस की ख़्वाहिश है कि अब लोग न रोएँ न हँसें, बे-हिसी वक़्त की आवाज़ बना दी जाए

सज़ा दी जाए

    इक सज़ा और असीरों को सुना दी जाए, यानी अब जुर्म-ए-असीरी की सज़ा दी जाए

एक दिया बुझा हुआ

    ख़ून से जब जला दिया एक दिया बुझा हुआ, फिर मुझे दे दिया गया एक दिया बुझा हुआ

ग़म से बहल रहे हैं

    ग़म से बहल रहे हैं आप आप बहुत अजीब हैं, दर्द में ढल रहे हैं आप आप बहुत अजीब हैं

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