पढ़ें मिर्जा गालिब के टूटे दिल पर लिखे शेर....


2024/05/30 22:24:10 IST

देखिए पाते हैं उश्शाक

    देखिए पाते हैं उश्शाक बूतों से क्या फैज? इक बिरहमन ने कहा है कि ये साल अच्छा है.

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जाहिर है तेरा हाल

    गालिब न कर हूजुर में तू बार-बार अर्ज, जाहिर है तेरा हाल सब उसपर कहे बगैर.

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निकलना खुल्द से आदम

    निकलना खुल्द से आदम का सुनते आए हैं लेकिन, बहुत बे-आबरू हो कर तिरे कूचे से हम निकले.

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इशरत-ए-कतरा है दरिया

    इशरत-ए-कतरा है दरिया में फना हो जाना, दर्द का हद से गुजरना है दवा हो जाना.

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न था कुछ तो खुदा था

    न था कुछ तो खुदा था, कुछ न होता तो खुदा होता, डुबोया मुझको होने ने, न होता मैं तो क्या होता.

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आह को चाहिए इक

    आह को चाहिए इक उम्र असर होने तक, कौन जीता है तिरी ज़ुल्फ के सर होने तक.

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