विश्व हिन्दी दिवस पर पढ़ें राष्ट्रकवि दिनकर की कविता


2024/01/10 13:23:03 IST

दिनकर की कविता

    क्षमा, दया, तप, त्याग, मनोबल, सबका लिया सहारा

दिनकर की कविता

    पर नर व्याघ्र सुयोधन तुमसे, कहो, कहाँ, कब हारा?

दिनकर की कविता

    क्षमाशील हो रिपु-समक्ष, तुम हुये विनत जितना ही

दिनकर की कविता

    दुष्ट कौरवों ने तुमको, कायर समझा उतना ही।

दिनकर की कविता

    अत्याचार सहन करने का, कुफल यही होता है

दिनकर की कविता

    पौरुष का आतंक मनुज, कोमल होकर खोता है।

दिनकर की कविता

    क्षमा शोभती उस भुजंग को, जिसके पास गरल हो

दिनकर की कविता

    उसको क्या जो दंतहीन, विषरहित, विनीत, सरल हो।

दिनकर की कविता

    तीन दिवस तक पंथ मांगते, रघुपति सिन्धु किनारे,

दिनकर की कविता

    बैठे पढ़ते रहे छन्द, अनुनय के प्यारे-प्यारे

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