जब नज़ारे थे तो आँखों को नहीं थी परवा...पढ़ें जफ़र इकबाल के शेर...


2024/03/16 23:26:08 IST

वो बहुत चालाक है

    वो बहुत चालाक है लेकिन अगर हिम्मत करें, पहला पहला झूट है उस को यक़ीं आ जाएगा

नक़्श की अदा देखूँ

    वो चेहरा हाथ में ले कर किताब की सूरत, हर एक लफ़्ज़ हर इक नक़्श की अदा देखूँ

अपने ही सामने

    अपने ही सामने दीवार बना बैठा हूँ, है ये अंजाम उसे रस्ते से हटा देने का

मुख़्तसर नहीं कर रहा

    अभी मेरी अपनी समझ में भी नहीं आ रही, मैं जभी तो बात को मुख़्तसर नहीं कर रहा

करता हूँ नींद में ही सफ़र

    करता हूँ नींद में ही सफ़र सारे शहर का, फ़ारिग़ तो बैठता नहीं सोने के बावजूद

सुना है वो मिरे बारे

    सुना है वो मिरे बारे में सोचता है बहुत, ख़बर तो है ही मगर मोतबर ज़्यादा नहीं

पूरी आवाज़ से इक रोज़

    पूरी आवाज़ से इक रोज़ पुकारूँ तुझ को, और फिर मेरी ज़बाँ पर तिरा ताला लग जाए

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