Urdu Shayari: ये कैसी बिछड़ने की सज़ा है,आईने में चेहरा रख गया है
क़दर
अज़ीज़ इतना ही रक्खो कि जी सँभल जाए,अब इस क़दर भी न चाहो कि दम निकल जाए
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दिल शिकस्ता
काश देखो कभी टूटे हुए आईनों को,दिल शिकस्ता हो तो फिर अपना पराया क्या है
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शिकायतें
हवा के दोश पे रक्खे हुए चराग़ हैं हम,जो बुझ गए तो हवा से शिकायतें कैसी
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इश्क़
एक चेहरे में तो मुमकिन नहीं इतने चेहरे,किस से करते जो कोई इश्क़ दोबारा करते
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दुनिया
अब तो मिल जाओ हमें तुम कि तुम्हारी ख़ातिर,इतनी दूर आ गए दुनिया से किनारा करते
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रूह
जवानी क्या हुई इक रात की कहानी हुई,बदन पुराना हुआ रूह भी पुरानी हुई
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बिखर
हज़ार तरह के सदमे उठाने वाले लोग,न जाने क्या हुआ इक आन में बिखर से गए
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