Urdu Shayari: ये कैसी बिछड़ने की सज़ा है,आईने में चेहरा रख गया है


2024/06/15 14:07:52 IST

क़दर

    अज़ीज़ इतना ही रक्खो कि जी सँभल जाए,अब इस क़दर भी न चाहो कि दम निकल जाए

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दिल शिकस्ता

    काश देखो कभी टूटे हुए आईनों को,दिल शिकस्ता हो तो फिर अपना पराया क्या है

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शिकायतें

    हवा के दोश पे रक्खे हुए चराग़ हैं हम,जो बुझ गए तो हवा से शिकायतें कैसी

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इश्क़

    एक चेहरे में तो मुमकिन नहीं इतने चेहरे,किस से करते जो कोई इश्क़ दोबारा करते

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दुनिया

    अब तो मिल जाओ हमें तुम कि तुम्हारी ख़ातिर,इतनी दूर आ गए दुनिया से किनारा करते

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रूह

    जवानी क्या हुई इक रात की कहानी हुई,बदन पुराना हुआ रूह भी पुरानी हुई

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बिखर

    हज़ार तरह के सदमे उठाने वाले लोग,न जाने क्या हुआ इक आन में बिखर से गए

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