अपने चेहरे से जो ज़ाहिर है छुपाएँ कैसे.. पढ़ें वसीम वरेलवी की ग़ज़ल


2023/12/22 18:47:54 IST

वसीम वरेलवी की ग़ज़ल

    अपने चेहरे से जो ज़ाहिर है छुपाएँ कैसे , तेरी मर्ज़ी के मुताबिक़ नज़र आएँ कैसे

वसीम वरेलवी की ग़ज़ल

    घर सजाने का तसव्वुर तो बहुत बअद का है , पहले ये तय हो कि इस घर को बचाएँ कैसे

वसीम वरेलवी की ग़ज़ल

    लाख तलवारें बढ़ी आती हों गर्दन की तरफ़ , सर झुकाना नहीं आता तो झुकाएँ कैसे

वसीम वरेलवी की ग़ज़ल

    क़हक़हा आँख का बरताव बदल देता है , हँसने वाले तुझे आँसू नज़र आएँ कैसे

वसीम वरेलवी की ग़ज़ल

    फूल से रंग जुदा होना कोई खेल नहीं , अपनी मिट्टी को कहीं छोड़ के जाएँ कैसे

वसीम वरेलवी की ग़ज़ल

    कोई अपनी ही नज़र से तो हमें देखेगा , एक क़तरे को समुंदर नज़र आएँ कैसे

वसीम वरेलवी की ग़ज़ल

    जिस ने दानिस्ता किया हो नज़र-अंदाज़ वसीम , उस को कुछ याद दिलाएँ तो दिलाएँ कैसे

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