आए कुछ अब्र कुछ शराब आए...पढ़ें फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ के कुछ मशहूर शेर...
अज़ाब
आए कुछ अब्र कुछ शराब आए, इस के बाद आए जो अज़ाब आए
सितम
है वही बात यूँ भी और यूँ भी, तुम सितम या करम की बात करो
ख़िज़ाँ
अब के ख़िज़ाँ ऐसी ठहरी वो सारे ज़माने भूल गए, जब मौसम-ए-गुल हर फेरे में आ आ के दोबारा गुज़रे था
सहर
कब ठहरेगा दर्द ऐ दिल कब रात बसर होगी, सुनते थे वो आएँगे सुनते थे सहर होगी
याद
कब तक दिल की ख़ैर मनाएँ कब तक रह दिखलाओगे, कब तक चैन की मोहलत दोगे कब तक याद न आओगे
बाज़ी
गर बाज़ी इश्क़ की बाज़ी है जो चाहो लगा दो डर कैसा, गर जीत गए तो क्या कहना हारे भी तो बाज़ी मात नहीं
दिल जलाएँ
चलो फ़ैज़ दिल जलाएँ करें फिर से अर्ज़-ए-जानाँ, वो सुख़न जो लब तक आए पे सवाल तक न पहुँचे
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