कभी तो चौंक के देखे कोई हमारी तरफ़...पढ़ें गुलजार के दर्द पर लिखे शेर...
शाम से आँख में
शाम से आँख में नमी सी है, आज फिर आप की कमी सी है
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वक़्त रहता नहीं
वक़्त रहता नहीं कहीं टिक कर, आदत इस की भी आदमी सी है
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आदतन तुम ने
आदतन तुम ने कर दिए वादे, आदतन हम ने एतिबार किया
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तुम्हारे ख़्वाब से
तुम्हारे ख़्वाब से हर शब लिपट के सोते हैं, सज़ाएँ भेज दो हम ने ख़ताएँ भेजी हैं
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हाथ छूटें भी तो
हाथ छूटें भी तो रिश्ते नहीं छोड़ा करते, वक़्त की शाख़ से लम्हे नहीं तोड़ा करते
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आप के बाद हर
आप के बाद हर घड़ी हम ने, आप के साथ ही गुज़ारी है
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हम ने अक्सर तुम्हारी
हम ने अक्सर तुम्हारी राहों में, रुक कर अपना ही इंतिज़ार किया
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