अहमद फ़राज़ का वह शेर, जिसे पढ़ भूल जाएंगे अपना दर्द


2023/12/17 22:27:26 IST

रंजिश

    रंजिश ही सही दिल ही दुखाने के लिए आ, आ फिर से मुझे छोड़ के जाने के लिए आ

बिछड़े

    अब के हम बिछड़े तो शायद कभी ख़्वाबों में मिलें, जिस तरह सूखे हुए फूल किताबों में मिलें

दुनिया

    हुआ है तुझ से बिछड़ने के बाद ये मालूम, कि तू नहीं था तिरे साथ एक दुनिया थी

जुदाई

    किस किस को बताएँगे जुदाई का सबब हम, तू मुझ से ख़फ़ा है तो ज़माने के लिए आ

तकल्लुफ़

    तुम तकल्लुफ़ को भी इख़्लास समझते हो फ़राज़ दोस्त होता नहीं हर हाथ मिलाने वाला

मंज़िल

    किसी को घर से निकलते ही मिल गई मंज़िल, कोई हमारी तरह उम्र भर सफ़र में रहा

भरोसा

    दिल को तिरी चाहत पे भरोसा भी बहुत है, और तुझ से बिछड़ जाने का डर भी नहीं जाता

View More Web Stories