ख़याल जिस का था मुझे ख़याल में मिला मुझे..पढ़ें मुनीर नियाज़ी के शेर..


2024/01/09 22:50:00 IST

इंतिज़ार

    ये कैसा नश्शा है मैं किस अजब ख़ुमार में हूँ, तू आ के जा भी चुका है मैं इंतिज़ार में हूँ

सवाल

    किसी को अपने अमल का हिसाब क्या देते, सवाल सारे ग़लत थे जवाब क्या देते

'मुनीर',

    जानता हूँ एक ऐसे शख़्स को मैं भी मुनीर, ग़म से पत्थर हो गया लेकिन कभी रोया नहीं

सफ़र

    आवाज़ दे के देख लो शायद वो मिल ही जाए, वर्ना ये उम्र भर का सफ़र राएगाँ तो है

ख़्वाब

    ख़्वाब होते हैं देखने के लिए, उन में जा कर मगर रहा न करो

ग़म की बारिश

    ग़म की बारिश ने भी तेरे नक़्श को धोया नहीं, तू ने मुझ को खो दिया मैं ने तुझे खोया नहीं

मोहब्बत

    मोहब्बत अब नहीं होगी ये कुछ दिन बअद में होगी, गुज़र जाएँगे जब ये दिन ये उन की याद में होगी

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