वफ़ा-शिआर कई हैं कोई हसीं भी तो हो..पढ़ें साहिर लुधियानवी के बेहतरीन शेर..


2024/01/13 22:25:26 IST

पूछते चलो

    अब आएँ या न आएँ इधर पूछते चलो, क्या चाहती है उन की नज़र पूछते चलो

प्यार

    कोई तो ऐसा घर होता जहाँ से प्यार मिल जाता, वही बेगाने चेहरे हैं जहाँ जाएँ जिधर जाएँ

रिश्ता-ए-उमीद

    लो आज हम ने तोड़ दिया रिश्ता-ए-उमीद, लो अब कभी गिला न करेंगे किसी से हम

ख़ुदा लाया

    हर एक दौर का मज़हब नया ख़ुदा लाया, करें तो हम भी मगर किस ख़ुदा की बात करें

बेगानगी

    मायूसी-ए-मआल-ए-मोहब्बत न पूछिए, अपनों से पेश आए हैं बेगानगी से हम

मोहब्बत

    तुम्हारे अहद-ए-वफ़ा को मैं अहद क्या समझूँ, मुझे ख़ुद अपनी मोहब्बत पे एतिबार नहीं

जुर्म-ए-मोहब्बत

    हम जुर्म-ए-मोहब्बत की सज़ा पाएँगे तन्हा, जो तुझ से हुई हो वो ख़ता साथ लिए जा

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