रहता है इबादत में हमें मौत का खटका..पढ़ें अकबर इलाहाबादी के शेर..
मर्द
लोग कहते हैं बदलता है ज़माना सब को, मर्द वो हैं जो ज़माने को बदल देते हैं
सूरत
इलाही कैसी कैसी सूरतें तू ने बनाई हैं, कि हर सूरत कलेजे से लगा लेने के क़ाबिल है
ग्रेजुएट
मैं भी ग्रेजुएट हूँ तुम भी ग्रेजुएट, इल्मी मुबाहिसे हों ज़रा पास आ के लेट
हंगामा
हंगामा है क्यूँ बरपा थोड़ी सी जो पी ली है, डाका तो नहीं मारा चोरी तो नहीं की है
पहचान
बस जान गया मैं तिरी पहचान यही है, तू दिल में तो आता है समझ में नहीं आता
रुस्वाई
इश्क़ के इज़हार में हर-चंद रुस्वाई तो है, पर करूँ क्या अब तबीअत आप पर आई तो है
दिल-पसंद
बी.ए भी पास हों मिले बी-बी भी दिल-पसंद, मेहनत की है वो बात ये क़िस्मत की बात है
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