उन का ग़म उन का तसव्वुर उन के शिकवे अब कहाँ..पढ़ें साहिर लुधियानवी के शेर..


2024/01/07 22:33:33 IST

बेवफ़ा

    वफ़ा-शिआर कई हैं कोई हसीं भी तो हो, चलो फिर आज उसी बेवफ़ा की बात करें

नज़र

    अब आएँ या न आएँ इधर पूछते चलो, क्या चाहती है उन की नज़र पूछते चलो

घर होता

    कोई तो ऐसा घर होता जहाँ से प्यार मिल जाता, वही बेगाने चेहरे हैं जहाँ जाएँ जिधर जाएँ

रिश्ता-ए-उमीद

    लो आज हम ने तोड़ दिया रिश्ता-ए-उमीद, लो अब कभी गिला न करेंगे किसी से हम

ख़ुदा

    हर एक दौर का मज़हब नया ख़ुदा लाया, करें तो हम भी मगर किस ख़ुदा की बात करें

बेगानगी

    मायूसी-ए-मआल-ए-मोहब्बत न पूछिए, अपनों से पेश आए हैं बेगानगी से हम

ए'तिबार

    तुम्हारे अहद-ए-वफ़ा को मैं अहद क्या समझूँ, मुझे ख़ुद अपनी मोहब्बत पे एतिबार नहीं

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