कौन कहता है कि मौत आई तो मर जाऊंगा...पढ़ें अहमद नदीम क़ासमी के चुनिंदा शेर...
दरिया
कौन कहता है कि मौत आई तो मर जाऊंगा, मैं तो दरिया हूं समुंदर में उतर जाऊंगा
साहिल
उन को क्या फ़िक्र कि मैं पार लगा या डूबा, बहस करते रहे साहिल पे जो तूफ़ानों की
शहकार
जिस भी फ़नकार का शहकार हो तुम, उस ने सदियों तुम्हें सोचा होगा
इश्क़
कुछ खेल नहीं है इश्क़ करना, ये ज़िंदगी भर का रत-जगा है
हिसाब
उस वक़्त का हिसाब क्या दूं, जो तेरे बग़ैर कट गया है
बग़ावत
तुझ से किस तरह मैं इज़हार-ए-तमन्ना करता, लफ़्ज़ सूझा तो मआनी ने बग़ावत कर दी
हमराह
मैं कश्ती में अकेला तो नहीं हूं, मिरे हमराह दरिया जा रहा है
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