बहुत नजदीक आती जा रही हो... पढ़िए जॉन एलिया के शेर
नज़दीक
बहुत नज़दीक आती जा रही हो, बिछड़ने का इरादा कर लिया क्या
बिछड़
मुझ से बिछड़ कर भी वो लड़की कितनी ख़ुश ख़ुश रहती है, उस लड़की ने मुझ से बिछड़ कर मर जाने की ठानी थी
तन्हाई
तू भी चुप है मैं भी चुप हूँ ये कैसी तन्हाई है, तेरे साथ तेरी याद आई क्या तू सचमुच आई है
नींद
बिन तुम्हारे कभी नहीं आई, क्या मेरी नींद भी तुम्हारी है
रात भर
सोचता हूँ कि उस की याद आख़िर, अब किसे रात भर जगाती है
गिला
कैसे कहें कि तुझ को भी हम से है वास्ता कोई, तू ने तो हम से आज तक कोई गिला नहीं किया
रिहा
मुझ को ये होश ही न था तू मेरे बाज़ुओं में है, यानी तुझे अभी तलक मैंने रिहा नहीं किया
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